गुरु-शिष्य परम्परा आध्यात्मिक प्रज्ञा का नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का सोपान।
“गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वर:
गुरुर साक्षात् परम ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः”
“काकचेष्टा बकुल ध्यानं श्वान निद्रा तथेव च
अल्पहारी गृहत्यागी विद्यार्थीनाम पंचलक्षणं”
एक परम्परा का निर्वहन अत्यंत आवश्यक होता है …कृपा कर इस विडियो को अपने बच्चों को अवश्य दिखावे
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Ravi Kant Sharma
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